अच्छा बुरा बस नाम ही रहता सदा इस लोक में, वह धन्य है, जिसके लिए हो लीन सज्जन शोक में

 


समाचार विचार/पटना: मूल्यों के स्तर पर क्षण प्रतिक्षण क्षीण होते जा रहे इस वीभत्स दौर में प्राणी जगत के प्रति मैत्रीपूर्ण, सद्भावपूर्ण और प्रेमपूर्ण वृति अगर कहीं दृष्टिगोचर होती हो तो उसकी सराहना ऐसी मनोवृतियों को उत्साहित करती है। अपने आस पास के व्यक्तियों से असंबद्ध हो रहे मनुष्यों ने सम्बद्धता के तारतम्य को नष्ट कर रख दिया है। समकक्ष और सहचर समझकर सहृदयता के भाव प्रकटीकरण के अभाव के इस दौर में चिकित्सा क्षेत्र की नामचीन शख्सियत, देश और विदेशों में न्यूरॉलजी के क्षेत्र में अद्वितीय प्रतिभा का प्रदर्शन करने वाले और भारत का सर्वोच्च सम्मान डॉ. बीसी राय अवार्ड से नवाजे गए प्रख्यात न्यूरो फिजिशियन डॉ. बिनय कारक ने एक सारथी को नवजीवन प्रदान कर उसके परिजनों, शुभचिंतकों और बंधु बांधवों को हर्ष से स्पंदित कर दिया है।

मृतप्राय अवस्था में पटना पहुंचा था खगड़िया का एक निरीह और निरुपाय चालक

पटना से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्तरीय चिकित्सकीय सुविधा से वंचित फरकिया प्रक्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध खगड़िया जिले के एक व्यवसायिक प्रतिष्ठान के पचास वर्षीय निजी चालक बलराम कुमार मालाकार के शरीर के निचले हिस्से में विकृति उत्पन्न हो गई थी। वह चलने के क्रम में असंतुलित हो जाता था। परिजनों ने सामान्य बीमारी समझकर उसकी प्रारंभिक चिकित्सा खगड़िया में ही करवाई लेकिन सुधार नहीं होता देख उसे बेगूसराय के युवा और होनहार चिकित्सक डॉ. शंभू से चिकित्सकीय परीक्षण कराया, जहां संपूर्ण जांचोपरांत ब्रेन हैमरेज की पुष्टि के साथ उसके परिजनों को आपात और तत्क्षण शल्य चिकित्सा की संजीवनी सलाह दी गई।

चिकित्सकीय सलाह से सन्न रह गया निम्न आय वर्ग से ताल्लुकात रखने वाले चालक का परिवार

अमूमन ब्रेन हैमरेज की स्थिति मृत्यु तुल्य होती है। धनवान हों या निर्धन, मरीज को मौत के मुंह से निकालने की प्रक्रिया सामान्यतः दुष्कर और जटिल ही होती है। धन से निरीह और निरुपाय परिजनों की मनोदशा को भलीभांति समझा जा सकता है। इस स्थिति में किसी शुभचिंतक की सलाह पर उसे डॉ. बिनय कारक के पटना स्थित क्लिनिक पर ले जाया गया जहां उन्होंने अपनी सहृदयता, उदारता और निरीहों के प्रति संबद्धता का परिचय देते हुए मृतप्राय और निरुपाय मरीज की जान बचाने का जो उद्यम किया, उसके सभी मुरीद और कृतज्ञ बन गए हैं। शल्य चिकित्सा में प्रयुक्त भारी भरकम खर्चों के जमा करने के उपरांत ही शल्य क्रिया को शुरू करने वाले चिकित्सकों को डॉ. कारक ने अपने भागीरथी विश्वास में लेकर मरीज की जान बचाने के उपक्रम में लग गए। उन्होंने अपने द्वारा निर्देशित समर्पित चिकित्सकों के मेधा के वैभव को मरीज की जान बचाने की दिशा दे दी और सामूहिक शक्तिपात का यह प्रतिफल हुआ कि ब्रेन हैमरेज से निष्प्राण हुए शरीर में जब हलचल हुई तो हैरत और खुशी से स्वजन-परिजन स्पंदित हो उठे और मरीज बिना किसी आर्थिक बाधा के आज स्वस्थाकार होकर पूर्ववत स्थिति में लौट आया है।

अच्छा बुरा बस नाम ही रहता सदा इस लोक में, वह धन्य है, जिसके लिए हो लीन सज्जन शोक में

खगड़िया के साहित्यकार दार्शनिक शंभू ने डॉ. कारक की सहृदयता और परोपकारी प्रवृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए कहा कि इस नश्वर संसार में जिस व्यक्ति को परमात्मा के प्रबंधन की आंशिक भी जानकारी है, वह अपनी परोपकारी वृति और प्रवृति से परमात्मा की प्रेरणा और आशीर्वाद से जरूरतमन्दों को लाभान्वित करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि वास्तविक अर्थों में बुद्धिमान और ज्ञानवान वही है जिसे नाशवान चीजों का सदुपयोग करने का कौशल प्राप्त हो। डॉ. विनय कारक ने आज एक निरीह और निरुपाय चालक के लिए अपने समय, सामर्थ्य और संपत्ति  का सदुपयोग कर अनुकरणीय,अतुलनीय और प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है।उन्होंने कहा कि परोपकारी प्रवृति से आच्छादित व्यक्ति का नैसर्गिक गुण होता है कि वह दयावान, क्षमावान और करुणावान होता है। ऐसे व्यक्ति पर परमात्मा की असीम कृपा होती है और वह अपने जीवन में सदैव क्षण प्रतिक्षण उल्लेखनीय व संवेदनात्मक उपस्थित दर्ज कराते रहता है।

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